मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों में यथार्थवाद और सामाजिक सुधार

Authors

  • डॉ. राम अधार सिंह यादव Associate Professor, Department of Hindi S.M. College Chandausi, Sambhal (U.P.)

Keywords:

मुंशी प्रेमचंद, यथार्थवाद, सामाजिक सुधार, हिंदी साहित्य, उपन्यास

Abstract

मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के यथार्थवादी और समाज सुधारक साहित्यकारों में से एक थे, जिनके उपन्यासों ने भारतीय समाज की जटिलताओं और समस्याओं को गहराई से उजागर किया। इस शोध पत्र का उद्देश्य मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों में यथार्थवाद और सामाजिक सुधार के तत्वों का विश्लेषण करना है। प्रेमचंद के उपन्यासों में यथार्थवाद केवल साहित्यिक शैली नहीं है, बल्कि यह उनके समाज सुधारक दृष्टिकोण का भी प्रतीक है। प्रेमचंद के उपन्यासों में विभिन्न सामाजिक समस्याओं जैसे गरीबी, जातिवाद, शोषण, स्त्री अधिकार, और शिक्षा की कमी को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। 'गोदान', 'सेवासदन', 'निर्मला', और 'गबन' जैसे उपन्यासों में उन्होंने ग्रामीण और शहरी जीवन की वास्तविकताओं को अत्यंत प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। प्रेमचंद का यथार्थवाद उनके पात्रों की सजीवता और उनके संवादों की स्वाभाविकता में परिलक्षित होता है। प्रेमचंद ने अपने उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक सुधार के संदेश दिए। उन्होंने अपने साहित्य में आदर्श और यथार्थ का संतुलन बनाए रखा, जिससे पाठकों को समाज की वास्तविकताओं का सामना करने और उन्हें सुधारने की प्रेरणा मिली। उनके उपन्यासों में निहित सामाजिक सुधार के संदेश आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को दिशा देने में सक्षम हैं।

References

- डॉ० रामचन्द्र तिवारी - हिन्दी का गद्य साहित्य, विश्वविद्यालय प्रकाशन वाराणसी, 1992 पृष्ठ 401

- डॉ० इन्द्रनाथ मदान- प्रेमचन्द एक विवेचन, राधाकृष्ण प्रकाशन नई दिल्ली-2006 पृष्ठ 123

डॉ लक्ष्मीनारायण लाल - हिन्दी कहानियों की शिल्प विधि का विकास, साहित्य भवन इलाहाबाद, 1953, पृ०131

प्रो० विश्वनाथ प्रसाद तिवारी- गद्य के नये प्रतिमान, लोकभारतीय प्रकाशन इलाहाबाद 1996, पृ० 10

Downloads

Published

2017-12-31

How to Cite

डॉ. राम अधार सिंह यादव. (2017). मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों में यथार्थवाद और सामाजिक सुधार. Universal Research Reports, 4(10), 134–140. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1303

Issue

Section

Original Research Article