हिन्दी भाषा का विकासात्मक अध्ययन
Keywords:
हिन्दी , विकासात्मकAbstract
‘हिन्दी’ जिस भाषा धारा का विशिष्ट नाम है। वह शब्दार्थ की दृष्टि से हिन्द या भारत में बोली जाने वाली भाषा कही जा सकती है। इसके पुराने नामों में ‘हिदुई’ हिंदवी या हिन्दुस्तानी उर्दू आदि भी इसी अर्थ को प्रकट करते है। वस्तुतः आज हिन्दी, उर्दू, हिन्दुस्तानी नामों का प्रयोग जिन भाषा रूपों के लिए किया जाता है व्याकरणिक स्तर पर वे प्रायः एक ही हैै। जब मुसलमान भारत मंे आये तो उन्होंने मध्यदेश की भाषा को ‘हिन्दुई’ कहा जो बाद में व श्रुति के साथ ‘हिन्दवी’ बन गया। सामान्यतः दिल्ली के आस-पास की बोली देहलवी या उसके निकटवर्ती क्षेत्र की बोलियों पर आधारित यह हिन्दू और मुसलमानो की समान भाषा रही। जिसके भीतर पुराना-नया सभी रूप हिन्दवी, हिन्दुस्तानी, दक्खिनी, रेख्ता, उर्दू आदि सभी समाहित हो जाते है। अमीर खुसरो ने घोषित किया था कि “मैं हिन्दुस्तानी तुर्क हूँ और हिन्दवी में उत्तर देता हूँ। मेरे पास मिó की शक्कर नहीं है जिससे मैं अरबी में बात कर सकू।
References
- लल्लू लाल - पे्रमसागर संस्कृत यंत्रालय कलकत्ता सन् 1842 पृष्ठ 1
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- डाॅ0 सुनीति कुमार चटर्जी आर्यभाषा और हिन्दी मुन्शी मनोहरलाल दिल्ली 1957 पृष्ठ 147
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- आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा राष्ट्रभाषा हिन्दीः समस्याएं और समाधान लोकभारतीय प्रकाशन 2007 पृष्ठ 150
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