समाज सुधार आंदोलनों से अंधविश्वास के स्थान पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण का उदय

Authors

  • Kumar P Research Scholar, MDU,Rohtak V.P.O.- Hamirgarh , Distt.-Jind (Haryana).INDIA

Keywords:

समाज सुधार आंदोलनों, अंधविश्वास

Abstract

भारत मे अन्धविश्वास तथा बाहय अडम्बर बुद्ध काल मे भी थे। जिसके कारण पशुओं की बलि दी जाती थी। फिर मध्यकाल मे अन्धविश्वासो को भक्ति तथा सुफी आन्दोलनो ने समाप्त करने का कुछ हद तक प्रयास किया था। लेकिन 7 वीं 18 वीं शताब्दी मे समाज मे हर जगह अन्धविश्वास जाति प्रथा, बलि प्रथा, दहेज प्रथा, सती प्रथा, शिशु वध प्रथा, कन्या वध, इत्यादि कई तरह के अन्धविश्वास तथा कई गलत प्रथाएं थी। यह सच है कि अंग्रेजो ने भारत का बहुत अभि शोषण किया लेकिन उन्होने भारत मे कई आर्थिक सुधार भी किए। पुर्नजागरण के कारण परिचय यूरोप मे लोगो मे जागृति पैदा हो गई थी। अब वह अन्धविश्वास से उपर उठकर मानवतावादी तथा प्रत्येक चीज मे विज्ञानिक दृष्टिकोण से देखते थे। इसके कारण उन्होने पूरे विश्व मे अन्धविश्वास के स्थान पर विज्ञानिक दृष्टिकोण को बढावा दिया। उनमे शिक्षा पाकर भारतीय विद्वान राजा राम मोहन राय, दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द ने भी भारतीय संस्कृति मे अन्धविश्वासो को समाप्त करने लिए आन्दोलन किए।

References

जैन माथूर, आधुनिक विष्व का इतिहास, जैन प्रकाषन मंदिर जयपुर, 2007, पृ. 3

विपन चन्द्र व अन्य, भारत का स्वतंत्रता संघर्ष हिन्दी माध्यम कार्यान्वय निदेषालय दिल्ली विष्वविद्यालय 2011, पृ. 50-60

ऐ.आर. देसाई, भारतीय राष्ट्रवाद की सामाजिक पृष्ठभूमि 1948 नई दिल्ली पृ. 224-25

रामलखन शुक्ल आधुनिक भारत का इतिहास नई दिल्ली, 2006 पृ. 343-47

ताराचंद भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का इतिहास (दूसरा खण्ड) प्रकाषन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार 2007, पृ. 368-71

राजीव अहीर आधुनिक भारत का इतिहास स्पेक्टम बुक्स 2014, नई दिल्ली, पृ. 23-25

Downloads

Published

2017-09-30

How to Cite

Kumar, P. (2017). समाज सुधार आंदोलनों से अंधविश्वास के स्थान पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण का उदय. Universal Research Reports, 4(6), 120–122. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/203

Issue

Section

Original Research Article