छायावादी काव्य का व्यक्ति स्वातंत्र्य और विद्रोह पर अध्ययन
Keywords:
आधुनिक, परिवर्तन और सामाजिक पर्यावरणAbstract
प्रसिद्ध समाजशास्त्री बेंजामिन स्वार्टज का कथन है कि - “आधुनिकीकरण विभिन्न मानवीय प्रयोजनों को सिद्ध करने हेतु मानव की शक्ति, सामर्थ्य व क्षमता के व्यवस्थित व निरंतर युक्तियुक्त कार्यान्वयन के द्वारा मानव के भौतिक व सामाजिक पर्यावरण पर नियंत्रण करने का प्रयास है।” डेविड एप्टर के अनुसार - “आधुनिकीकरण चयन करने की योग्यता व अन्वेषण तथा प्रश्नात्मक धारणाओं से संबद्ध है।” डॉ. मदन मोहन भारद्वाज आधुनिकता को अलग ढंग से परिभाषित करते हैं- “आजकल आधुनिकता से जो अर्थ ग्रहण किया जाता है, वह है रहन-सहन, खान-पान और बोलचाल में पश्चिम का अनुकरण। कहने का तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति जितना अधिक पश्चिमी रंग में रंग गया है वह उतना ही आधुनिक है। अतः हमारे यहाँ आधुनिकता का अर्थ है- ‘पश्चिमी प्रभाव’। डॉ. नगेंद्र ने आधुनिता का प्रश्न निबंध में कहा है- “आधुनिकता को मूल्य के रूप में स्वीकारना समीचीन न होगा, यह एक प्रक्रिया है, इसी रूप में इसका प्रभाव अक्षुण्ण है।” नटरंग के संपादक एवं प्रख्यात साहित्यकार नैमिचन्द जैन ने कहा है- “ हमारे लिए आधुनिकता पश्चिमीकरण में नहीं, अपनी परंपरा को समकालीन जरूरतों के संदर्भ में ढालने, बदलने और जीवंत करने में हो सकती है।” राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर ने ‘आधुनिक बोध’ में आधुनिकता के बारे में कहा है- “जिसे हम आधुनिकता कहते हैं, वह एक प्रक्रिया है।” हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री गिरिराज किशोर ने आधुनिकता के बारे में कहा है- “आधुनिकता वही होती है जो वर्तमान को स्वीकार करे और उसके अनुरूप रूढ़ियों में परिवर्तन लाए।” आधुनिकता को हमें विचारों से जोड़ना चाहिए तभी हम आधुनिक हो सकेंगे अन्यथा हम लोग आधुनिक न होकर उच्छृंखल हो जाएंगे।
References
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